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Tuesday, April 27, 2010

दर्द

दर्द ही तो दिल की सज़ा है ,
बिना दर्द के दिल की क्या दवा है ,
सब को अपना दर्द है यहाँ ,
किसे को किसी के दर्द का के पता है....
अरविन्द मालगुड़ी

1 comment:

Unknown said...

kya bat hai malgudi g badi achi kavita likhi hai... bilkul sachae ko chuti hai....wl don keep it up............